अब बच्चे की शिक्षा की कुंडली होगी तैयार, आधार कार्ड की तरह हर स्टूडेंट का बनेगा APAAR ID कार्ड, आखिर क्या होगा Automated Permanent Academic Account Registry कार्ड का इस्तेमाल
The Blue Tick : Automated Permanent Academic Account Registry अब देश भर के विद्यार्थियों की एक विशिष्ट पहचान ऑटोमेटेड परमानेंट एकेडमिक अकाउंट रजिस्ट्री, यानी APAAR ID, होगी। यह आधार कार्ड की तरह 12 डिजिट का एक वैज्ञानिक यूनिक संख्या होगा। किसी भी विद्यार्थी को बाल वाटिका यानि आंगनबाडी, स्कूल या फिर जब वो कॉलेज में दाखिला लेगा तो ये आईडी मिल जाएगी।
खास बात ये रहेगी कि इसमें स्कूल के साथ साथ कॉलेज या फिर बच्चे ने कौन से विश्वविद्यालय से पढाई की वो दर्ज होगा। इतना ही नहीं, बच्चे के पास सर्टिफिकेट सत्यापन कह लिजिए, या फिर कौन सी स्किल ट्रेनिंग की हुई है वो भी दर्ज होगी। इसके अलावा उसने कहां इंटर्नशिप की कौन काैन सी स्कॉलरशिप या अवॉर्ड जीते वो भी अंकित हाेगा। वहीं, कोर्स क्रेडिट ट्रांसफर और अन्य कोई उपलब्धि है तो वो सब कुछ डिजिटल रूप में दर्ज होगा।
देश भर में 30 करोड़ विद्यार्थी अपार के दायरे में लाए जाएंगे
देश भर में करीब 30 करोड़ विद्यार्थी पढ़ते हैं। इनमें से लगभग 4.1 करोड़ उच्च शिक्षा और 4 करोड़ स्किलिंग कोर्स से जुड़े हुए हैं। शेष विद्यालयों में हैं। एकेडमिक बैंक ऑफ क्रेडिट सिस्टम लागू होने से इस सत्र से एक करोड़ से अधिक छात्र-छात्राएं अपार के लिए पंजीकृत हो चुकी हैं। सरकार का लक्ष्य है कि सभी 30 करोड़ विद्यार्थियों को अपार नंबर के दायरे में लाया जाए।
शिक्षा मंत्रालय ने सभी राज्यों के सचिवों को पत्र लिखकर सभी शिक्षण संस्थानों में विद्यार्थियों का अपार रजिस्ट्रेशन करने की बात कही है। नई शिक्षा नीति-2020 के अनुसार, स्किलिंग, उच्च शिक्षा और स्कूलों के तीनों क्षेत्रों के विद्यार्थियों का डेटा एक प्लेटफॉर्म पर होना चाहिए।
अब देते हैं आपके अपार से जुड़े सवालों के जवाब
आप जानना चाहते हैं कि APAAR आईडी कहां बनेगा? where to create APAAR ID?
अपार आधार नंबर से जारी होगा। स्कूल-कॉलेज ही इसे बनाएंगे। माता-पिता और अभिभावकों की सहमति भी आवश्यक होगी। क्योंकि इसका डेटा शिक्षा संबंधी संस्थानों और विभागों से साझा किया जाएगा। इसके तहत बच्चों की आधारीय जांच की जाएगी यानि वेरीफिकेशन का काम होगा। अपार से जुड़े रिकॉर्ड डिजिलॉकर में दर्ज होने के बाद वहीं उपलब्ध होंगे।
इसके इस्तेमाल के बारे में भी सवाल होगा कि आखिर कैसे उपयोग हो सकेगा? What would be the use other than education?
इस नंबर के साथ विद्यार्थी जीवन से जुड़ी सभी सरकारी जानकारी उपलब्ध होगी। कहीं जॉब करने का मन हो तो आवेदन करने के लिए भी सीधे अपार नंबर का इस्तेमाल किया जा सकता है। यही नहीं, काम मिलने के बाद इसे स्किलिंग, रीस्किलिंग और अपस्किलिंग में भी इस्तेमाल किया जा सकता है।
शिक्षा से अगल भी क्या इस्तेमाल होगा? What would be the use other than education?
आपको बता दें कि स्टूडैंट्स को कई तरह के पास मिलते है, जैसे रेल पास या बस पास। अब इन दोनों वाहनों के पास बनवाने के लिए भी आप इसका इस्तेमाल कर पाएंगे। यानि रेल और बस कंसेशन में अपार नंबर का इस्तेमाल हो सकेगा।
अपार आईडी बनने के बाद कौन सी मुश्किलें आसान होंगी? Which problems will become easier after creating Apar ID?
क्रेडिट ट्रांसफर कोर्स में आसान होगा। यदि आप पहले दो विषयों को किसी कोर्स में पढ़ चुके हैं और फिर दूसरे विषयों को पढ़ते हैं, तो आपको पता चलेगा कि आप पहले दो विषय पढ़ चुके हैं। ये फिर से नहीं पढ़ना चाहिए। अपार में सर्टिफिकेट वेरिफाइड होगा। बार-बार वेरिफिकेशन की परेशानी दूर हो जाएगी। ऐसी सूचनाएं अपडेट होती रहेंगी अगर आपने स्नातक किया है या डिग्री प्राप्त की है। आप किसी योजना, सहयोग या पुरस्कार के योग्य हैं, तो अपार आईडी देते ही संबंधित संस्था को पता चलेगा।
जानिये ये और किन्हें जारी होगा? Know to whom else apaar card will be issued?
शिक्षकों, विद्यार्थियों, कॉलेजों, विश्वविद्यालयों, एडुटेक कंपनियों और शैक्षणिक स्टार्टअपों को यूडाइस, आईसी या जीएसटीएन नंबर के आधार पर अपार नंबर देंगे। यानि स्टूडेंट्स के साथ—साथ ये शिक्षकों लिए भी होगा। उनका पूरा ब्यौरा भी इसमें होगा कि कहां कहां किन्हें पढ़ाया।
प्रमाणित तंत्र की आवश्यकता थी..।
नेशनल एजुकेशनल टेक्नोलॉजी फोरम के चेयरमैन प्रो. अनिल सहस्रबुद्धे ने कहा कि देश में हर संस्थान अपने शिक्षकों और छात्रों का डेटा रखता है, लेकिन यह एक फॉर्मेट में नहीं होने से कठिनाई होती है। राष्ट्रीय क्रेडिट फ्रेमवर्क के आगमन के बाद, मल्टीपल एग्जिट, एंट्री, नए कोर्स में लैटरल एंट्री, आदि में एक ही प्लेटफॉर्म पर सब कुछ सत्यापित होने वाले तंत्र की जरूरत थी। कई बार, अलग-अलग एजेंसियों के डेटा में एक ही संस्था के बारे में विसंगतियां होती हैं। अब एक ही प्लेटफॉर्म पर डेटा साझा करने से सभी प्रकार की समस्याएं दूर होंगी।"