चाय का असली हिंदी नाम जानकर रह जाएंगे हैरान! जानिए इससे जुड़ी general knowledge की बातें
क्या आपने कभी सोचा है कि जिसे हम रोज़ 'चाय' कहते हैं, उसका असली हिंदी नाम क्या है? अधिकतर जगहों पर इसे चाय ही कहा जाता है, लेकिन संस्कृत और हिंदी में इसका अलग नाम भी है।
The Blue Tick, Chai ka asli name: चाय, जो भारत में हर घर की पहचान बन चुकी है, इसे हर कोई अपने दिन की शुरुआत और ताजगी के लिए पीता है। मगर क्या आपने कभी सोचा है कि जिसे हम रोज़ 'चाय' कहते हैं, उसका असली हिंदी नाम क्या है? अधिकतर जगहों पर इसे चाय ही कहा जाता है, लेकिन संस्कृत और हिंदी में इसका अलग नाम भी है, जो शायद आपको चौंका सकता है! आइए, इसी रोचक जानकारी पर आज चर्चा करते हैं।
चाय का इतिहास चीन से जुड़ा हुआ है और वहीं इसका आविष्कार माना जाता है। प्रचलित कहानी के अनुसार 2732 BC में चीन के शासक शेंग नुंग ने चाय का आविष्कार किया था। ये भी गलती से ही हो गया था क्योंकि एक जंगली पौधे की पत्तियां उनके उबलते हुए पानी के बर्तन में जा गिरी थी।
जब पत्तियां पानी में गिरी तो उसमें से बहुत अच्छी खुशबू आने लगी और उसका रंग बदलने लगा। कौतूहल वश शेंग नुंग ने इसे पी लिया। कहानी ये भी कहती है कि शासक को इसे पीकर इतना अच्छा लगा था जैसे उनके पूरे शरीर में ताजगी आ गई हो और उन्हें खुशी का अहसास हुआ हो।
चाय का नाम 'चा' चीनी भाषा से लिया गया है, जिसका अर्थ है 'परखना' या 'खोजना'। चाय को बाद में व्यापार के माध्यम से अन्य देशों में भी पहुंचाया गया। भारत में चाय को अंग्रेजों ने 19वीं सदी में लाया और इसकी खेती शुरू की। चाय को हिंदी में 'चाय' कहा जाता है, जो 'चा' का ही रूपांतर है।
चाय एक बहुत ही स्वादिष्ट और सेहतमंद पेय है, जो आपको ताजगी और ऊर्जा देता है। चाय के अलग-अलग प्रकार हैं, जैसे काली चाय, हरी चाय, गट्टी चाय, मसाला चाय, आदि। चाय को अपने स्वाद और फायदे के लिए पूरी दुनिया में पसंद किया जाता है।
हरी चाय: इसके लिए पत्तियों को जल्दी से सुखाया और भाप या तलकर गर्म किया जाता है, ताकि उनमें ऑक्सीकरण न हो। इससे चाय का रंग हरा और स्वाद कम कड़वा रहता है। हरी चाय में एंटीऑक्सिडेंट, विटामिन और मिनरल अधिक मात्रा में होते हैं, जो रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं, वजन कम करते हैं, त्वचा को स्वस्थ रखते हैं और डायबिटीज, कैंसर और हृदय रोगों के खतरे को कम करते हैं।
काली चाय: इसके लिए पत्तियों को मुरझाया, तोड़ा, ऑक्सीकृत और सुखाया जाता है। इससे चाय का रंग काला और स्वाद अधिक कड़वा होता है। काली चाय में फ्लेवोनोइड्स होते हैं, जो एंटीऑक्सिडेंट होते हैं और हृदय के स्वास्थ्य को सुधारते हैं। काली चाय रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल, मोटापा और आंत की बीमारियों को रोकने में मदद करती है।
मसलेदार चाय: इसके लिए काली चाय को दूध, चीनी और विभिन्न मसालों के साथ पकाया जाता है। इसमें दालचीनी, इलायची, लौंग, अदरक, काली मिर्च, तुलसी और अन्य मसाले शामिल हो सकते हैं। इससे चाय का स्वाद मीठा और चटपटा होता है। मसलेदार चाय में विटामिन, मिनरल और एंटीऑक्सिडेंट होते हैं, जो सर्दी, खांसी, गले में खराश, पाचन, चेहरे की चमक और मूड को बेहतर बनाने में मदद करते हैं।
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