The Blue Tick

ice cream vehicle :चटकारे लेकर आपने भी खाई होगी ये आईसक्रीम,ऐसी गाड़ी पर आईसक्रीम बेचने वाले आते कहां से हैं

गर्मियों में देशभर के शहरों में सड़क के किनारे और चौराहे पर फालूदा, आइसक्रीम बेचने वाली गाड़ियां खड़ी होना आम बात हैं। चमकीले रंगों वाले पोस्टर और नियॉन लाइट के कारण इन्हें दूर से पहचाना जा सकता है। लेकिन क्या आपने जानना चाहा है कि ये गाड़ियां कहां से आती हैं।
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 The Blue Tick :  ice cream vehicle : गर्मियों में देशभर के शहरों में सड़क के किनारे और चौराहे पर फालूदा, आइसक्रीम बेचने वाली गाड़ियां खड़ी होना आम बात हैं। चमकीले रंगों वाले पोस्टर और नियॉन लाइट के कारण इन्हें दूर से पहचाना जा सकता है। लेकिन क्या आपने जानना चाहा है कि ये गाड़ियां कहां से आती हैं। गार्डियन में प्रकाशित एक रिपोर्ट के मुताबिक राजस्थान में पानी की कमी रही है।

इससे कृषि उपज और आजीविका काफी हद तक बर्बाद हो गई है। इन हालात में भीलवाड़ा जिले के गंगापुर के आसपास के गांवों में आइसक्रीम के व्यवसाय ने कई उद्योगों को उभारते हुए ग्रामीणों के लिए रोजगार के नए अवसर प्रदान किए हैं।

यहां आइसक्रीम सामग्री बेचने और गाड़ियों की वर्कशॉप की संख्या 2015 में 50 से बढ़कर लगभग 500 हो गई है। हर साल 50 हजार गाड़ियां नवंबर से फरवरी के दौरान आइसक्रीम ट्रकों में बदली जाती हैं। वर्कशॉप के मालिक कालू मोहम्मद पठान बताते है कि बाजार में हर दिन 500 गाड़ियां तैयार की जाती हैं। काम बढ़ने से वर्कशॉप में भी नौकरियां बढ़ी हैं। स्थानीय प्रिंटर भी पोस्टर बनाने के लिए नियुक्ति कर रहे हैं।

ग्रामीणों को आइसक्रीम के व्यवसाय से पक्के मकान बनाने, घरों में कुंए स्थापित कर खेतों की सिंचाई करने में मदद मिली है। ये हर साल मार्च में अपने सजे- धजे आइसक्रीम ट्रकों में शहरों की ओर रवाना होने की तैयारी करने लगते हैं। अगले नौ महीने किसान से आइसक्रीम व्यवसायी बने ये ग्रामीण इलायची से लेकर चॉकलेट, वनिला और पिस्ता के स्वाद वाली आइस्क्रीम की बिक्री देश के विभिन्न कोनों में करेंगे।

31 साल के भैरव लाल धनगर बताते है कि वे हर महीने 15 हजार की बचत कर परिवार को भेजते हैं, जो गांव में रहने से संभव नहीं था। पिछले दशक में 350 की आबादी वाले गांव के लगभग 100 लोग अपना आइसक्रीम एक चला रहे हैं।