चीनी खाते सब हैं लेकिन क्या आपको पता हैं इसका नाम चीनी किसने रखा, general knowledge में जानों
The Blue Tick : Chini or shakkar : चीनी की बात हो या शक्कर की दोनों ही ज्यादातर घरों में इस्तेमाल होती है। लेकिन क्या आपको पता हैं इन दोनों को हम रोज तो खाते हैं, लेकिन इनमें अंतर क्या हैं, अजी ये बात तो छोड़िये एक देश में चीनी के नाम को लेकर ही शर्त लग गई, पूछा गया कि बताओं चीनी का नाम किसने चीनी रखा, अब सब हैरान थे कि खाते सब हैं मगर जवाब नहीं पता। आपको तो क्या 99 प्रतिश्त लोगों को नहीं पता। लेकिन आज हम आपको इस लेख में बता देंगे।
चीनी और शक्कर में अंतर
चीनी और शक्कर दोनों ही मीठा स्वाद देने वाले उत्पाद हैं, जो गन्ने के रस से बनाए जाते हैं। लेकिन इन दोनों के बीच काफी फर्क होता है, जो इनकी बनावट, प्रक्रिया, गुण और नुकसान पर निर्भर करता है। इस लेख में हम इन फर्कों को विस्तार से समझेंगे।
चीनी क्या है?
चीनी वह सफेद दानेदार चीज है, जो गन्ने के रस को मिल में ले जाकर क्रिस्टलीकरण करके बनाई जाती है। इस प्रक्रिया में गन्ने के रस में चूना, कार्बन डाइऑक्साइड, कैल्शियम, फॉस्फेट, फॉस्फोरिक एसिड, अल्ट्रा मरीन ब्लू और कभी-कभी पशुओं की हड्डियों के चूरे का भी उपयोग किया जाता है। इन रसायनों का उपयोग चीनी को चमकदार, सफेद और लगभग पोर्सिलेन के रंग जैसा बनाने के लिए किया जाता है। इस प्रक्रिया के दौरान चीनी में मौजूद पोषक तत्व खत्म हो जाते हैं, इसलिए इसे सेहत के लिए नुकसानदायक माना जाता है।
चीनी का नाम चीन के लोगों की देन है, जिन्होंने भारत में गन्ने के रस से मीठा उत्पाद बनाने की विधि सीखी और फिर उसे अपनी तरीके से अपग्रेड किया। इसलिए इसे हिंदी में चीनी कहा जाता है।
शक्कर क्या है?
शक्कर वह चूरा दार चीज है, जो गुड़ से बनाई जाती है। गुड़ बनाने के लिए गन्ने के रस को बड़े-बड़े कड़ाही में गाढ़ा किया जाता है। जब रस गाढ़ा हो जाता है, तब गुड़ बनकर तैयार होता है। गुड़ तैयार होने के बाद बड़े बर्तन में निकालकर ठंडा किया जाता है। ठंडा होने के बाद गुड़ को कूट-कूटकर चूरा बना लिया जाता है। इसे ही शक्कर कहा जाता है।
शक्कर को पारंपरिक तरीके से बनाया जाता है, इसलिए इसमें किसी प्रकार के रसायनों का उपयोग नहीं किया जाता है। इसके कारण इसमें मौजूद पोषक तत्व बरकरार रहते हैं, इसलिए इसे चीनी से ज्यादा फायदेमंद और ऑर्गेनिक कहा जाता है।
चीनी और शक्कर के गुण और नुकसान
चीनी और शक्कर दोनों ही मीठा स्वाद देते हैं, लेकिन इनके गुण और नुकसान अलग-अलग होते हैं। चीनी का अत्यधिक सेवन करने से शरीर में शर्करा का स्तर बढ़ जाता है, जो डायबिटीज, मोटापा, कैंसर, दिल की बीमारियां, दांतों का सड़ना और त्वचा के लिए खतरनाक होता है। चीनी में कोई भी पोषक तत्व नहीं होते हैं, इसलिए इसे खाली कैलोरी का स्रोत कहा जाता है।
शक्कर का सेवन करने से शरीर को कुछ पोषक तत्व मिलते हैं, जैसे आयरन, कैल्शियम, मैग्नीशियम, पोटैशियम, फाइबर और एंटीऑक्सिडेंट्स। इनसे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है, रक्त का संचार बेहतर होता है, त्वचा को स्वस्थ रखता है और अन्य फायदे देता है। लेकिन यह भी सत्य है कि शक्कर भी एक प्रकार की चीनी है, इसलिए इसका अत्यधिक सेवन करने से भी शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं। इसलिए इसका सेवन संतुलित मात्रा में करना चाहिए।
चीनी और शक्कर का उपयोग
चीनी और शक्कर दोनों ही खाने-पीने की चीजों में मीठा स्वाद देने के लिए उपयोग किए जाते हैं। चीनी को आमतौर पर चाय, कॉफी, जूस, शरबत, केक, बिस्कुट, हलवा, बर्फी और अन्य मिठाइयों में डाला जाता है। शक्कर को भी इन्हीं चीजों में डाला जा सकता है, लेकिन इसका ज्यादा उपयोग गुड़ की तरह लड्डू, चिक्की, गजक, तिलकुट, गुड़ पारे और अन्य ऐसी चीजों में किया जाता है, जिनमें गुड़ के साथ अन्य सामग्री भी मिलाई जाती हैं।
चीनी और शक्कर दोनों ही अपने-अपने स्थान पर अच्छे लगते हैं, लेकिन इनका सेवन हमेशा सीमित रखना चाहिए। अगर आप चीनी को शक्कर से बदलना चाहते हैं, तो आपको इस बात का ध्यान रखना होगा कि शक्कर में चीनी से ज्यादा मीठापन होता है, इसलिए आपको शक्कर की मात्रा कम रखनी होगी। उदाहरण के लिए, अगर आप एक कप चाय में एक चम्मच चीनी डालते हैं, तो उसी कप चाय में आपको आधा चम्मच शक्कर ही डालना होगा।
चीनी और शक्कर दोनों ही गन्ने के रस से बनाए जाते हैं, लेकिन इनकी बनावट, प्रक्रिया, गुण और नुकसान अलग-अलग होते हैं। चीनी को रसायनों के साथ बनाया जाता है, जिससे इसमें कोई भी पोषक तत्व नहीं रहते हैं, इसलिए इसे खाली कैलोरी का स्रोत कहा जाता है। शक्कर को पारंपरिक तरीके से बनाया जाता है, जिससे इसमें कुछ पोषक तत्व रहते हैं, इसलिए इसे ऑर्गेनिक और फायदेमंद कहा जाता है। लेकिन इन दोनों का अत्यधिक सेवन करने से शरीर पर नकारात्मक प्रभाव पड़ सकते हैं, इसलिए इनका सेवन संतुलित मात्रा में करना चाहिए।
डिस्क्लेमर: इस लेख का उद्देश्य केवल जानकारी प्रदान करना है, इसका किसी भी प्रकार का चिकित्सा, आयुर्वेदिक, वैज्ञानिक या अन्य सलाह के साथ कोई संबंध नहीं है। इस लेख में दी गई जानकारी की सटीकता, पूर्णता या विश्वसनीयता के लिए हम कोई जिम्मेदारी नहीं लेते हैं। इस लेख के आधार पर किसी भी फैसले के लिए हमारी सलाह है कि आप अपने डॉक्टर, आयुर्वेदिक वैद्य, वैज्ञानिक या अन्य विशेषज्ञ से परामर्श लें।