3 किलो दूध देने वाली गाय भी अब 10 लीटर प्रति दिन दूध देगी, IVF की इस तकनीक से बदल जाएगा पशु पालन का तरीका , आ रहा हैं pashu ka dudh badhane ka tarika
The Blue Tick : pashu ka dudh badhane ka tarika : सोचिए, आपका पशु अभी केवल 3 लीटर दूध देता हैं, लेकिन ऐसा हो जाये कि वो 10 लीटर दूध देने वाली बछड़ी को जन्म दें या फिर उसका ही दूध इतना हो जाएं तो सुन कर कैसा लगेगा। शायद, सुनने में थोड़ा अजीब लगे, लेकिन साइंस के जमाने में सब संभव है। ऐसे ही एक नई तकनीक के बारे में हम आपको बताते है।
अभी तक आपने महिलाओं में ही भ्रूण प्रत्यारोपण का इस्तेमाल होने की बात सुनी होगी, लेकिन हिसार के लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय की तरफ से सेरोग्रेसी टेक्निक का इस्तेमाल अब पशुओं में भी किया जाने लगा है। लुवास के वैज्ञानिकों का कहना हैं कि इससे एक तरह से पशु का दुग्ध उत्पादन तो बढ़ेगा ही साथ ही बेसहारा घूमने वाले पशुओं का इस्तेमाल भी सेरोगेट मादा के रूप में हो सकेेगा।
बेसहारा घूमती गायों की समस्या का आने वाले दिनों में स्थाई हल हो सकता है। दरअसल, अभी तक देखने में आया हैं कि सड़कों पर जो बेसहारा पशु घूमते रहते हैं उनमें से ज्यादातर वो होते हैं जो दुध इत्यादि देना बंद कर देती हैं या कम कर देती है। लेकिन अब इन्हीं बेसहारा पशुओं का इस्तेमाल सेरोग्रेसी टेक्निक के जरिये अच्छी क्वालिटी की बछड़ी पैदा करने में होगा। हिसार स्थित लाला लाजपत राय पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्वविद्यालय और प्रदेश सरकार ने इस पर काम करना शुरू कर दिया है।
लुवास के पशु मादा रोग एवं प्रसूति विभाग विभागाध्यक्ष डॉ आनंद कुमार पांडे का कहना हैं कि अभी तो केवल साहिवाल नस्ल पर ही ये काम चल रहा है। विट्रो फर्टिलाइजेशन व भ्रूण ट्रांसफर तकनीक के जरिए पहली बार एक बड़ा टारगेट लिया गया है। लुवास हरियाणा की साहिवाल नस्ल की गायों को सरोगेट मदर बनाने का लक्ष्य लेकर चल रहा है। हरियाणा पशुधन बोर्ड और हरियाणा गोसेवा आयोग की मदद से लुवास कार्य को करेगा।
लुवास के पशु वैज्ञानिक डॉ आनंद कुमार ने कहा कि आमतौर पर 1 बछड़ी से 1 बार ही बच्चा ले सकते हैं, लेकिन इस तकनीक के जरिये एक साल में 10 से ज्यादा बछियां ले सकते है। इतना ही नहीं, दूध के उत्पादन क्षमता को भी बढाया जा सकता है। सामान्य गाय 3 लीटर पर डे के हिसाब से दूध देती हैं, लेकिन क्रॉस ब्रिडिंग वाली गाय से 9 से 10 लीटर प्रति दिन दूध लिया जा सकता है। उन्होंने बताया कि हरियाणा में ऐसे पशुओं की संख्या बहुत ज्यादा हैं, जिन्हें काम का नहीं समझा जाता। लेकिन इस तकनीक के बाद इस दिशा में एक बड़ा फायदा होगा। हालांकि अभी ये तकनीक महंगी है। लेकिन आने वाले दिनों में इसके सस्ते होने की काफी उम्मीद है।